सहदेव

सहदेव जिसको सब सनी भी बोलते हैं सूरज की पहली किरण की तरह खिलते हैं सबके बीच। काफ़ी देर सबकी बात सुनते हैं लेकिन जब वो कुछ कहते हैं तो बाकी सारी बातों पर रौशनी की नई किरण प्रतीत होती है। वो बातों मे कम और कर्मों पर ज़्यादा ज़ोर देते हैं। उनके लिए भेद भाव की दुनिया से निकलने का प्रयास सबसे अहम है और इसको आगे ले जाने के लिए सनी कुछ भी करने को तैयार हैं। जब बाकी सब थक जाते हैं तो सबको ऊर्जा देने का काम सनी ही करते हैं।