1 अगस्त सरफ़रोशी फाउंडेशन का जनमदिन है और इस मौके को हम सब
ने थोड़े दिन बाद, यानि 22 अगस्त 2022 को ऐसे मनाया की एहसास
हुआ की हमारे संस्था के बनने के दो साल बाद हम संस्था नहीं उससे
बढ़कर अब संगठन बन गए। यानि अब हम एक ऑफिस, एक एन.जी.ओ
नहीं एक पुकार बन गए हैं और यह बात हमारे हैप्पी बर्थ्डै वाले दिन को
पता चल।

हमने मिल कर सरफ़रोशी के स्थापना दिवस को एक अधिवेशन के रूप मे
मनाया। विषय था – धर्म, स्वास्थ्य और हमारा कर्तव्य। इस दिन को
मिसालदेह बनाने के लिए हमने मुख्य अतिथि आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी
जी को बुला कर किया। हमारा सौभाग्य था की जो गुरु और सब धर्म के
ज्ञानी जो विश्व में जाने जाते हैं, वो वृंदावन से हमारे बीच चले आए और
ऐसे विचार रखे जो बिल्कुल सरल और फिर भी बहुत गहरे थे।

क्या है धर्म? धर्म हिन्दू, मुस्लिम, सिख ईसाई नहीं, वो तो शब्द हैं, वो
हमारे पहचानने के तरीके हैं। आचार्य ने कहा धर्म है अपने शरीर मे धारण
करना। यानी अपने तन और मन का आदर करना और उसका सही
उपयोग करना।

हमारे दूसरे मुख्य अतिथि थे शामली के बेमिसाल डाक्टर, श्री खुर्शीद
अनवर। जिन्होंने करोना काल में अपनी ज़िंदगी की परवाह ना करके दिन
रात सब की सेवा की, तब भी जब वो खुद मरते मरते बच गए। जब भी
उनके क्लिनिक मे जाओ तो सुबह से ले कर देर रात तक कई सौ लोग
रोज़ मिलेंगे, और डाक्टर अपना परम धर्म निभाते हैं इनकी सेवा में।

यह सरफ़रोशी काम सिर्फ़ डोनैशन से मुमकिन है, चिराग जलते रहने के लिए डोनैट करें।।