सुरक्षा

खतरों का सामना
कई बार ऐसे हुआ है की हमारे सरफ़रोशी साथियों को व्यक्तिगत झगड़े में फंसा कर के दबंग लोगों ने हमला किया और पुलिस भी रिपोर्ट लिखने से बच रही थी। ऐसे में सरफ़रोशी संस्था ने अपने लोगों की मदद की, रिपोर्ट दर्ज करने में और अंदर का डर खत्म करने में। 

एक बार कुछ दबंग पुरुषों ने महिला पर हमला किया। महिला कूड़ा फेंकने  जा रही थी उसी जगह पर जहां दबंग लोग अपने घर का कूड़ा फेंकते थे। यह देख के कुछ दबंग पुरुष कहने लगे, `यहाँ पर आप कूड़ा नहीं डाल सकते।’ महिला को धक्का दिया। महिला ने वापस उनको धक्का दिया। यह बात पुरुष सह नहीं पाए और महिला की छाती पर ईंठ मार कर बहुत चोट पहुंचाई। फिर उनको धमकाया – अगर वो पुलिस रिपोर्ट लिखें तो उनके परिवार को मार देंगे। हमने सबसे पहले महिला की डाक्टरी इलाज कराई, फिर पुलिस रिपोर्ट वापस लिखने की भी बात की।

ऐसे एक और बार दबंग जाति के लोगों ने दूसरी जाति पर हिंसा की और फिर बड़ी तादाद में पुलिस के पास पहुंचे। पहले पुलिस दबंगियों की ही सुन रही थी और दूसरी तरफ को अपनी बात रखने का मौका नहीं दे रही थी। फिर पहुंचे मौके पर हमारी सरफ़रोशी लीडर और हम सब स्टाफ। तुरंत दूसरी जाति की सुनवाई हुई, रिपोर्ट लिखी गई और कार्रवाई भी हुई।

एक और बार जब एक ऐसी जाति की लड़की के साथ हाधसा हुआ जो अकसर पुलिस की नज़रों में कलंकित है, तो सरफ़रोशी संस्था ने साथ दिया और उनकी बात ज़िले के मुख्य पुलिस अफसर से करवा दी। 

अब हम और भी हकों की लड़ाई लड़ रहे हैं अपने सरफ़रोशियों के साथ।

ढेवा बस्ती, शामली शहर के लोगों की लंबी लड़ाई है जाति आरक्षण के लिए जो हम मिल कर लड़ रहे हैं। सरकार से इनकी जाति प्रमाणपत्र की मांग की है और इस पर एक प्रस्ताव तैयार हो रहा है। यानि लड़ाई और कोशिश, दोनों जारी हैं। 

इसी तरह बावरिया समाज एक लंबी लड़ाई लड़ रहा है अपने क्षेत्र में डिग्री कॉलेज बनवाने की जिसका प्रस्ताव बहुत पहले सरकार ने पास कर दिया लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई। हम इनकी यह बात सरकार के साथ उठा रहे हैं ताकि इनकी मांग पूरी हो जाए।

यह लड़ाइयाँ लंबी हैं लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे। यह सरफ़रोशियों की पहचान है।  
यह सरफ़रोशी काम सिर्फ़ डोनैशन से मुमकिन है, चिराग जलते रहने के लिए हमारी सहायता करें।