शामली में जुलाई – अगस्त हैं बारिश के महीने। जिस दिन लगना था लिसाढ़ गाँव मे कैम्प, आसमान ने तेवर दिखा दिए, काले बादल और बिजली के कड़कने से। कैम्प के एक दिन पहले सारी सड़कें बनी पानी की नदियां और उसमें तैरती हुई मिट्टी, दल दल मे बदल गई। कीचड़ में आखिर कैम्प लगे तो कैसे?
लेकिन सरफ़रोशियों के शब्दकोष में नामुमकिन के लिए कोई जगह नहीं है। तो सरफ़रोशी प्रभारी कुलदीप ने बखूबी से नेतृत्व संभाला और एक बड़े कार्यक्रम के डायरेक्टर होने के नाते सभी सहयोगीयों में काम बाँट दिया। बारिश के चलते ठंडे मौसम ने सब मे एक अलग उत्साह भर दिया। कुलदीप के साथ लगे सुमित भाई, सचिन, जयकुमार, अरुण कुमार और परविंदर कुमार।
टेन्ट के ऊपर प्लास्टिक की शीट लगाई गई। दोनों साइड पंखे कूलर लगाए गए। और कैम्प कामयाब रहा। 30.07.2022 दिनांक को इस कैम्प में आए 362 लोगों की जांच हुई। यह हुई शामली के ग्लोबल शांति केयर अस्पताल के 4 डाक्टर और लैब स्टाफ द्वारा। इस कैम्प मे जनरल डाक्टर, महिला डाक्टर, दांत के डाक्टर और हाड़ियों के डाक्टर थे। साथ ही फ्री खून की जांच सुविधा थी।
कैम्प मे सहयोग देने बाकी गाँव से भी सरफरोशी सहयोगी आए, बारिश के बावजूद। काँधला ब्लॉक प्रभारी सुधा के साथ नाला गाँव से मुकेश, सुन्ना से समा, भाभीसा से अक्षय पाँव मे घाव होने के बावजूद आ गए। मखमूलपुर से आई आदेश और हुरमाँजपुर से कुसुम। डाँगरोल से पुष्पेंद्र जी, अक्षय, सागर और राजीव भी आए। आखिर बारिश को सबके सामने फीका ही होना पड़ा। इस कैम्प मे सबसे ज़्यादा मज़ा आया बच्चों को। क्यूंकि सभी बच्चे मिलकर एक कोने में अपनी ही मीटिंग कर रहे थे, शायद अगली पीड़ी तैयार हो रही है, सरफ़रोशियों की।